मेरा धर्म
मेरा धर्म
मैं कौन हूँ इससे क्या फर्क पड़ना है
मैं क्या हूँ इससे दुनिया को फर्क पड़ता है।
मैं न हिन्दू हूँ न मुस्लमान हूँ सबसे पहले मैं इंसान हूँ
मुझे न धन का लोभ है न सम्मान की चिंता है
न बुराई की ओर में न मुझे जान की चिंता है।
बदलेगा जमाना भी खुद को बदलना काफी है
मुश्किल है सच की राह पर लेकिन चलना जरूरी है।
मेरा धर्म जन सेवा है जन सेवा करता जाऊँगा
भले राह में लाख मुसीबत पर मैं ना घबराऊंगा।
