Kshitij Bhatt
Drama
देखकर तुझे
इश्क जतलाऊँ क्या,
बस तेरा ही हूँ
बतलाऊँ क्या ?
कलम खामोश थी
पहले प्यार का...
बर्बाद-ए-इश्क
पहले प्यार की...
दर्द-ए-मोहब्ब...
बेवफ़ाई
हम दिल से दूर...
रिक्तता
इजहार-ए-मोहब्...
बारिश की इन बूंदों ने आहत के घाव पर मरहम दे दिया था, बारिश की इन बूंदों ने आहत के घाव पर मरहम दे दिया था,
सब कहेंगे मेरे कंधे पे चढ़कर जाओ हाँ वो मेरा हक़ पेंन्डिंग रहा सब पर। सब कहेंगे मेरे कंधे पे चढ़कर जाओ हाँ वो मेरा हक़ पेंन्डिंग रहा सब पर।
आखिर सांस तो वो तो अंग्रेजों से लड़े फांसी पर भी वो फांसी पर भी वो तो मुस्कुराते हुए चढ़े आखिर सांस तो वो तो अंग्रेजों से लड़े फांसी पर भी वो फांसी पर भी वो तो मुस्क...
खाली घड़े इतराने लगते हैं आधा भरते ही, छलकने छलछलाने लगते हैं। खाली घड़े इतराने लगते हैं आधा भरते ही, छलकने छलछलाने लगते हैं।
मैं चाहता हूं की तुम मेरे प्यार की देवी बनकर आती रहो मैं चाहता हूं की तुम मेरे प्यार की देवी बनकर आती रहो
आत्माभिमान व दांभिकतापूर्ण व्यवहार करनेवाले... आत्माभिमान व दांभिकतापूर्ण व्यवहार करनेवाले...
ये छलकते ज़ाम को मैं भूल पाऊंगा नहीं, फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं। ये छलकते ज़ाम को मैं भूल पाऊंगा नहीं, फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं।
सूर्य स्वयं जलता है, पर वो उजाला देता, ईश्वर की तरह सूर्य स्वयं जलता है, पर वो उजाला देता, ईश्वर की तरह
जियरा तेरे बीन चैन न पाये, अँखियों से मुझे आंसू बहाये, जियरा तेरे बीन चैन न पाये, अँखियों से मुझे आंसू बहाये,
आज अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ा वर्चस्व हिंद देश इसके लिए वैज्ञानिकों की प्रशंसा करे,पूरा आज अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ा वर्चस्व हिंद देश इसके लिए वैज्ञानिकों की प्रशंसा ...
दिल दुखेगा देख लेंगे लेकिन उसको छुपाने के लिए झूठ क्यों बोलना और दो दिल दुखेगा देख लेंगे लेकिन उसको छुपाने के लिए झूठ क्यों बोलना और दो
बेलगाम हवाओं के झोंके कहीं दूर उड़ा ले जाते हैं... बेलगाम हवाओं के झोंके कहीं दूर उड़ा ले जाते हैं...
इसने तोड़ दी है, स्वर्ण पदक की उम्मीद हमारी इसने तोड़ दी है, स्वर्ण पदक की उम्मीद हमारी
भ्रात कुशलता हेतु देती, नारियल बहिन मुंह मीठा करवाकर, करती भ्रात वंदन भ्रात कुशलता हेतु देती, नारियल बहिन मुंह मीठा करवाकर, करती भ्रात वंदन
वो बिरादरी को डसते बिना काम है सर्प रक्षा हेतु, लेता डसकर इंतकाम है वो बिरादरी को डसते बिना काम है सर्प रक्षा हेतु, लेता डसकर इंतकाम है
अब के बिछड़े हम कहाँ मिल पायेंगे? अब के बिछड़े हम कहाँ मिल पायेंगे?
तेरे विरह की आग में जल रही हूं, तेरे बीन दिन रात मैं तड़प रही हूं तेरे विरह की आग में जल रही हूं, तेरे बीन दिन रात मैं तड़प रही हूं
थोड़ी तसल्ली हुई, उतरते देखा बच्चों को मैदान में जब। थोड़ी तसल्ली हुई, उतरते देखा बच्चों को मैदान में जब।
जिसको प्रेम की चाह नहीं है, उसको अपनी परवाह नहीं है। जिसको प्रेम की चाह नहीं है, उसको अपनी परवाह नहीं है।
उनकी हवा से भी दूर रहे, जो जलते है। जलनेवाले सर्प से ज्यादा विष उगलते है उनकी हवा से भी दूर रहे, जो जलते है। जलनेवाले सर्प से ज्यादा विष उगलते है