बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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वो जिन्दगी का दर्द बन बैठे हैं,
जो आज ख़ुदगर्ज बन बैठे हैं।
वो आए थे हर रोग का निदान बन कर,
आज ख़ुद ही इक मर्ज बन बैठे हैं।
पहले साथ के बदले साथ की बात करते थे,
अब हम पर कर्ज बन बैठे हैं।
शुरुवात में गर्माहट उनकी वजह से थी,
अब ना जाने क्यों सर्द बन बैठे हैं।
प्यार का सिला ना प्यार से दिया,
इक नया दर्द बन बैठे हैं।
रिश्ता तो कोई एक मुकम्मल है नहीं उनसे,
हर रिश्ते का वो फर्ज़ बन बैठे है।
