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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

हुश्न के नखरे

हुश्न के नखरे

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202


रात के मद्धम बहते पहर में 

चाँद की गवाही संग 

छत पर टहलते

ईईशशश ये आँचल ढ़लका 

सुनो तुमसे कुछ कह रहा है 

सीने पर सर रख लो 

हर धड़क पर बज रहा है एक नाम।

 

ये अंगों की 

अठखेलियों की दावत पर 

करीब आओ तो जानूँ तुम्हारी आशिकी की इंन्तेहाँ 

अपने दामन की खुशबू बना लो मुझे

तुम्हारे दिल के सुने बाग में कोई फूल खिल जाए।


हाँ थोड़ा ओर करीब

तलब की मारी बेबस पेड़ से लिपटी लताओं की भाँति महसूस करूँ तुम्हें।


न..न..न यूँ न दूर जाओ यहाँ पल भर में मौसम बदल जाते हैं,

खुले गेसूओं से खेलने आ जाओ 

कंगन से उलझो, या पायल से झुलसो 

मतवाली अदाओं को कुछ-कुछ तो समझो।


जवाँ खूबसूरत हुश्न के नखरे हैं 

इश्क के मारों उठाने का जो जिगर रखते हो 

इस महफ़िल में खुलती हैं निगाहों की सुराही 

जो समझो नैंनों की भाषा तो कर लो दिल पर राज, 

वरना हुश्न की ठोकर पे सारा ज़माना है।



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