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manish shukla

Drama

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manish shukla

Drama

हत्यारे

हत्यारे

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एक सपना पैदा होता है,

आखों में फिर वो पलता है,

संघर्ष से सींचा जाता है,

उम्मीदों के दिये जलाता है,

जीवन का लक्ष्य दिखाता है,


गर कोई आकर,

आशा के दीप बुझाता है,

सपनों को तोड़ जाता है,

हत्यारे सा बन जाता है

सच भी है,


मौत अंतिम मुकाम होती है,

पर सपनों में जान होती है

जान लेने वाले ही हत्यारे नहीं होते,

सपनों के टूटते ही,

जीवन की कोशिश नाकाम होती है,


जीते जी आदमी टूट जाता है,

हत्यारे की कोशिश आसान होती है।


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