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नविता यादव

Romance

4.4  

नविता यादव

Romance

हसीन पल

हसीन पल

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भरी महफ़िल में यूँ एक वाख्या हो गया

हम यूहीं मशरूफ थे उनके खयालों में

और सोचते ही सोचते उनसे सामना हो गया,,

दिल की धड़कने यूं बेकाबू हो गई,

जैसे बिन बादल बरसात से सामना हो गया।।


क्या कहें , क्या सोचे सब जैसे बेमाइना हो गया

उनके रुख़ की चमक के आगे जैसे सब धुंधला सा हो गया।।

हालत ऐसी जैसे कोई मुजरिम हो हम ,,,

ठंड के मौसम में गर्मी और पसीने से सामना हो गया।।


दिल की बातें जुबां पर लाने से कतरा रहे थे हम

पर कंभकत इन आंखों की "गुस्ताख़ी "का पैमाना हो गया.....और इस पर

उनका हमें यूं लगातार देखना

जैसे "दीपक संग पतंगा" का फ़साना हो गया।।


अपने जज्बातों को संभालते हुए थोड़ा संभले हम

और धीरे से उनके कानों में

फुसफुसाए.....

आपका अचानक इस महफ़िल में कैसे आना हो गया?

कुछ वो भी थोड़ा संभले ,और धीरे से हमारे कानों में फुसफुसाए,,,,

आपको"" रंगे हाथों""पकड़ने का हमारे दिल में जो इरादा हो गया।।


इतना कहते ही उनकी आँखें कुछ बदली - बदली सी दिखी,,,

और हमारी तो जैसे किस्मत ही बदल गई,,,

आज रूबरू थे वो हमारे ,

जिनका हमारे सपनों में आना जाना होता था।।


मौका भी था , दस्तुर भी था

इन हाथों में आज वो हाथ भी था,

दिल की बात लबो तक आ गई थी अब

हमें उनकी मोहब्बत का एक इशारा भी था।।


आँखों ही आँखों में सवेरा हो गया

जीवन में हमारे खुशियों का डेरा हो गया

जिसको चाहा वो पास था,

मोहब्बत के शहर में अपना बसेरा हो गया।।



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