STORYMIRROR

.प्रमोद घाटोळ

Drama Romance

2  

.प्रमोद घाटोळ

Drama Romance

हर लम्हा उसके नाम

हर लम्हा उसके नाम

1 min
531


मेरे अंदाज से ज्यादा,

वह खूबसूरत निकली,

मगर क्या करूँ,

चाँद को निहारती,

वह सुहागन निकली !


आँचल में छुपा था,

मुखड़ा सुहाना,

मेरे आँखो का दर्पण,

मनभावन निकली !


नसल की असली,

फसल थी वह,

पंछियों में सुस्वर,

कोयल निकली !


लैला नहीं थी,

न तो राँझा की हीर,

वह तो झील में खिलता हुआ,

कमल निकली !


मानो माली के बगीचे की,

कच्ची कली वह,

चार बच्चों की,

माँ निकली !


फुरसत में बनायी गयी,

हूर थी तौबा,

मैं चाँद था उसका,

वह मेरी चाँदनी निकली !


मेरे जंग की रानी,

आँगन की खुशबू

वह मेरी जीवन संगिनी,

"चित्तचोर" निकली !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama