अक्षय
अक्षय
जिनके मन में सदैव हो ध्यास
बंजर में उग जाती है घाँस
ध्येय हो जिनका पवित्र उच्चतम
ज्वाला भी बनती है छाँछ...
सच्चाई की राह धरे तो
बढ जाता है आत्मविश्वास
नीत नीत वही उन्नत होता
कभी न रहता दुजे का दास...
आजन्म पीडा वही सहता है
किस्मत के जो बाँधे धागे
नीला अंबर पहनकर चले तो
पूरे होते नेक इरादे...
सफलता का महामार्ग यही है
छोडना न कभी दृढ निश्चय
आगे आगे बढ़ते रहना
और बन जाओ तुम अक्षय!!