हक़ जताने आ गए
हक़ जताने आ गए
प्यार कितना कर रहे हो हद बताने आ गये !
फिर पुराने खत लिए तुम हक़ जताने आ गये !!
खींच कर रेखाएं मैंने दे दिया आकार जब !
रंग भरना है सजीले कर बहाने आ गये !!
हाथ छोड़ा, राह बदली बन गए अनजान से !
दोस्त जो भी रह चुके अवसर भुनाने आ गये !!
मुस्कराहट भी छले है एक यह हथियार है !
रूठना जब भूल बैठे तब मनाने आ गये !!
हर सितम हमने सहा है जो दिया तकदीर ने !
हाथ तुम इस वक्त पर भी आजमाने आ गये !!
आँख के आँसू गये तो लौट कर आये नहीं !
द्वार पर दस्तक लिए जो फिर सताने आ गये !!
टूटते हैं नित भरोसे हिल चले आधार सब !
तुम बिरज साहस लुटाकर अब उठाने आ गये !!