होश में कभी बेहोशी में
होश में कभी बेहोशी में
कभी होश में,
कहीं बेहोशी में तेरा नाम तो लिया होगा,
मुरीद हूं, तेरी आमद का, कभी तो इज़हार किया होगा,
यूं तो मुहब्बत में, बहुत आशियाने बने और जले होंगे,
दे गर जो तू साथ मेरा, तो मुंसिफ दो जहां होंगे,
इश्क के ज़फ़र में, मेरा किरदार भी होगा,
तेरी, शफ़ा या मेरी वफ़ा का असर शानदार होगा,
हुस्न की शोखियाँ, बेशुमार है तेरी, मगर,
जस्बा ए इश्क मेरा भी, कम ना होगा,
हीर रांझा, या ससी पुनू सा ना सही,
पर तेरा मेरा इश्क, परवान जरूर होगा।
कभी होश में,
कहीं बेहोशी में तेरा नाम तो लिया होगा।।