हंसना भूल गये
हंसना भूल गये
हंसना भूल गये,रोना भूल गये
जब से हम मूर्खो की गली गये
हम होशियारी लगाना भूल गये
कितनी बार खुद को समझाया,
पर मेरा ये मन समझ न पाया,
हम खुद को पहचानना भूल गये
हंसना भूल गये, रोना भूल गये
जब से टकराये पत्थरों से साखी,
हम झरने सा बहना ही भूल गये
पर अब हमने ये समझ लिया है,
खुद को शूल-नोक पे रख लिया है,
अब से हम मोम बनना भूल गये
अब न जलेंगे दीप बनकर यूँ ही
अब से हम पत्थर फूल बन गये।