हमसे है हौसला
हमसे है हौसला
हमसे है हौसला,
हमसे है उड़ान,
हम ही तो हैं...
जो देते तुम्हें पहचान।
तुम फिर भी हमें समझ ना सके,
रौंदते रहे अपने पैरों के बीच,
हम सहते रहे सब गम धीरे से,
चुपचाप अपनी अंखियाँ मीच।
कभी लगा तुम पिता हो प्यारे,
कभी पति परमेश्वर सबसे न्यारे,
कभी पुत्र मोह में फँसकर,
हमने काट लिया ये जीवन हँसकर।
फिर एक दिन एक संदेश है जागा,
कि "नारी दिवस" का भी बँधेगा धागा,
जब मिलेगा नारी को पूर्ण सम्मान,
जब उसकी रक्षा से होगी उसकी पहचान।
आज नारी स्वतंत्र है
उसके हौसलों से है उसकी पहचान,
तभी तो दूर तलक अब दिखती है,
नई सोच की नई उड़ान।।
