हमको अंदाजा नहीं था
हमको अंदाजा नहीं था


हमको अंदाजा नहीं था कि फिर से हम तुम मिलेंगे,
जिन राहो से हम हर रिश्ता नाता तोड़ चुके थे,
उन राहो पर फिर से अपने कदम बढ़ा लेंगे,
उन राहो से क्यों हमको फिर से प्यार हुआ,
ये लिखने की कला को हम त्याग चुके थे,
ये फिर से कलम हाथ में क्यों थाम ली हमने,
ये कैसा प्यार था हमारा
कलम और ये लिखने की कला को हम त्याग चुके थे,
ये फिर से कलम हाथ में क्यों थाम ली हमने,
से,
कि फिर से अपने शब्दों को मोतियों की तरह पिरोने लगे,
सच ही कहते है जमाने वाले कि प्यार अपना हम भूल नहीं सकते,
प्यार तो प्यार ही होता है इंसान से हो या अपनी कला से,
हम को कभी खुद से दूर नहीं होने देता,
धूल सी जम जाती है कुछ वक्त के लिए,
फिर से रोशनी की किरणें निकल आती है ।