STORYMIRROR

Dinesh Sen

Romance

3  

Dinesh Sen

Romance

हम तुम

हम तुम

1 min
152


हम तुम बने थे शायद

इक दूजे के लिए

तुम आती थी तो शायद

जल उठती थीं गुल बत्ती

मन के अंधेरे कमरे में

जैसे छू जाती थीं तरंगें

आत्मा को मेरी

जब बिन कहे जान जाते

थे हम तुम अल्फाजों को

मानो रिश्ता था कुछ खास

हमारा, हमारे मन का आत्मा का

इस संसारिक रिश्तों से ऊपर 

कहीं ऊपर सोलमेट का रिश्ता

जो बना था बना है बना रहेगा

हमेशा हमेशा हमेशा।।





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance