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Pallavi PS

Romance

4.5  

Pallavi PS

Romance

हम तुम

हम तुम

1 min
200


आज भी शाम हुई नहीं, और

तुम कहते हो कि रात ढलने को है

बात की शुरूआत हमने की नहीं

और तुम कहते हो जुबान थक गयी है।


वो पल, वो दिन, वो शाम, वो राहें

देखो, आज भी बेहद खूबसूरत है

आज भी हमारे होंठ खामोश हीं है, की

बात पहले तुम शुरू करोगे कि मैं


राहें आज भी तो उतनी ही लम्बी है

शबनम की बूंदे यूँ ही हमे भीगो रही हैं

चुपके से तुम आज भी मेरा सर ढक

 धीरे से कहते हो की भीग जाओगी

और फिर कहते कि अब वो सुबह नही।


मुझे पता है पर तुम कहोगे नहीं

की देर रात तक दीवार पर बैठ 

आज भी तुम मेरा ही इंतज़ार करते

फिर चाँद को देख मुस्कुरा कर, बस

यही कहते हो कि अब वो रात नहीं।


बेशक मेरी आॅंसुओं से तुम्हे फर्क पड़ता है

पर जाने क्यों रुक जाते हो बार-बार

औऱ आँखों में आँसू लिए हँसते हुए 

कहते हो कि, अब तुम्हे मुझसे प्यार नहीं।


जानती हूँ की तुम मुझे छोड़ कर नही जाओगे

पर आज फिर हम दोनो कहीं बिछड़ न जाए

इस डर में मैं तुमसे लिपट सी जाती हूँ

और तुम मेरा हाथ थाम, यही कहते हो

की चलो अब हम तुम पास ही सही

की अब हम तुम पास ही सही।


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