हम तो यूँ ही कमाल करते हैं
हम तो यूँ ही कमाल करते हैं
चुनौतियों भरा जीवन हँस कर स्वीकार करते हैं
दिल्ली वाले हैं ज़नाब, हम तो यूँ ही कमाल करते हैं।
सही क्या और गलत क्या बेखबर नहीं इस बात से हम
पर जो होता है सो हो हमें क्या ?
हम तो धुएँ से हर माहौल को मालामाल करते हैं
हमारे शौक़िया अंदाज़ के तो कहने ही क्या।
बीड़ी, सिगरेट पर हम सेहत और पर्यावरण तक को नीलाम करते हैं
शानो-शौक़त में कोई मुकाबला नहीं हमारा।
गाड़ियों की शान में तो हम भविष्य को कुर्बान करते हैं
कटते हैं पेड़ तो कट जाए
कौन परवाह करे ठंडी छाया और शुद्ध वायु की ?
हम तो मास्क पहन कर चलते हैं और AC में आराम करते हैं
आख़िर दिल्ली वाले हैं ज़नाब, हम तो यूँ ही कमाल करते हैं।