हम हैं मनमौजी
हम हैं मनमौजी
हम हैं ऐसे फनकार,
जैसे सावन की झनकार।
हम तो रहते हैं मस्ती में,
हम हैं मौजों के अलंकार।
यह है अपनी आजादी,
स्वच्छंद हैं हम जी।
अब तो उमंग में हैं हम,
क्योंकि हम हैं मनमौजी।
हम नाचते हैं गाते हैं ,
हमें संगीत के स्वर भाते हैं।
कोई दीवाना कोई आशिक है,
सब अगल-बगल मंडराते हैं।
छम छम छम छम पायल करती,
दीवानों में आहें भरती।
जब धक धक धक दिल करता है,
तब धड़कन आशिक की बढ़ती।
देखो मेरी अमुक अदा से,
झूम रही है सारी दुनिया।
मेरे लब की लाली से ही,
दिल की छम छम करती छमिया।