तुम्हारा अहसास
तुम्हारा अहसास
न हो तुम मेरे साथ
पर अहसास इर्द-गिर्द
तुम्हारे होने का होता है,
पीता हूँ जब चाय सुबह की
कनखियों से
तुम्हारे देखने का अहसास होता है,
लौटता हूँ साँझ को जब घर
दरवाजे पर तुम्हारे
इंतज़ार करने का अहसास होता है,
आती है हिचकी मुझे जब भी
मुझे याद करने का
अहसास तुम्हारा होता है,
होती है जब तबियत मेरी नासाज
माथे पर तुम्हारी छुअन का अहसास होता है,
लिखता हूँ जब शब्दों को कागज पर
लिखी कविता में अहसास तुम्हारा होता है,
खलती है सफर में कमी जब तुम्हारी
मेरी परछाईं में अहसास तुम्हारा होता है।