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Rajeev Rawat

Romance

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Rajeev Rawat

Romance

हमसफर

हमसफर

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यूं ही गुजर रहा था 

तन्हा तन्हा ही जिंदगी के सफर में,

तुम मिले तो राहें खुशनुमा सी हो गयीं मेरी-

और कल तक दिल के सूखे रेगिस्तान में 

जहां उगते थे कैक्टस कांटे लिए हुए, 

वहां खुशबू बिखरती कलियां सी 

खिलकर बिखर गयीं मोहब्बत की तेरी-

वह सफर जो थाम कर हाथ मेरा

चल दिये आहिस्ता आहिस्ता बन कर हमसफर-

नर्म नर्म तेरे इश्क की हरी हरी दूब पर

भूल गये हम जिंदगी की राह मगर-

समय के चक्र ने भले कर दिया हो मजबूर हमें-

भाग्य के अभिलेख ने कर दिया हो दूर हमें-

लेकिन आज भी तुम

यादों की पहाड़ियों से मेरे लिए आती हो सफर कर के-

और मैं भी चुपके से खो जाता तेरी यादों के तकिये अपना सर रख के-

तुम आज भी अपनी गोदी रखकर सर सहलाती हो-

यादों में जब अक्स बन कर करीब आती हो-

मैं चुपचाप तुम्हारी मोहब्बत की उंगलियां थामें महसूस करता हूं-

अहसासों की वह चुभन आज भी सहता हूं-

सच में, 

यह जिंदगी का सफर अक्सर छूट जाता है-

लेकिन सफर-ए-मोहब्बत 

वह हमसफर हमेशा बहुत याद आता है।



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