काश! मैं तुम्हारा दोस्त होता
काश! मैं तुम्हारा दोस्त होता
काश!
तुम हमारी अच्छी दोस्त होती
तो कितना अच्छा होता..
हमारे बीच नजदीकियां होती
फिर भी हम अजनबी होते..
हम एक दूसरे से सब कहते
नराजगियाँ हमे डराती नहीं..
रूठ जाने का डर आता नहीं
मानने वाली उम्मीद रहती नहीं..
इंतजार हमे कभी रहता नहीं
इग्नोर वाली फीलिंग आती नहीं..
मै किसी बात पर तुम्हे बहुत चिढ़ाता
मुझे बुरा नही लगता तुम चिढ़ जाती
तुम हर लड़की को मेरा कहती
मै हंसकर सबको अपना कहता,
मै हर उस लड़के को तुम्हारा कहता..
जो तुम्हारी कभी होता ही नहीं ..,
तुम हंसकर बताती लड़के तुमसे
कैसे मिलते है, क्या कहते है..
मै मजे से सुनता..तुम्हारी सब बाते,
मुझे कभी बुरा नही लगता तुम्हारे हाथो
ने किस किसका हाथ पकड़ा,
लेकिन मुझे बुरा लगता, जब तुम किसी को
अपना सबसे अच्छा दोस्त कहते ...
काश हम दोस्त होते..
हमे कभी भी एकदुसरें से औपचारिकताएं
निभानी नही पड़ती,
हमे कभी हक और अधिकार जताने के लिए
एक दूसरे की सहमति की जरूरत नही पड़ती,
तुम कभी हमारे रिश्तों को लेकर छिपी छिपी सी
नही रहती,
मै कभी तुम्हे कुछ भी कह देने को स्वतंत्र होता,
और तुमसे अपनापन ही हरदम महसूस होता
पराएं होने का डर और तुम्हारी उपेक्षाएं
मुझे दुखी नहीं करती ...
काश! मैं तुम्हारा दोस्त होता ।।