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Anshita Dubey

Romance

4  

Anshita Dubey

Romance

आत्मिक चाहना से मुक्ति नहीं

आत्मिक चाहना से मुक्ति नहीं

1 min
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तुम्हारे साथ होने का धुंधला सा ख़्याल

और उसमें तुम्हारी अस्पष्ट सी तैरती हुई 

फुसफुसाहट का एक-एक लफ्ज़

उसके आरोह अवरोह का बखूबी एहसास का

वह पल किसी यथार्थ से कम नहीं

दुनियां जहान की तमाम तार्किकताओं का वज़न एक तरफ़

और टूट कर तुम्हें चाहने की बेताब कामना दूसरी तरफ़

मेरी सारी कोशिशें उस वक्त नाकाम हो जाती हैं  

जब लाचार कर देने वाली तुम्हारी घनघोर चाहना से

मैं मुक्त नहीं हो पाती 

ऐसा हर एक पल 

मेरे पूरे अस्तित्व को घेरे रहता है

अस्फुट रुदन का वह निर्मम पल

जब तुम्हारे साथ होने के ख़्याल तक ही 

सिमट कर रह जाता है 

किस तरह मेरी लाचारी पर 

ठहाके लगाकर मुझे दर्द के 

बेहिसाब आगोश में समेटने को मजबूर कर देता है

फ़िर भी तुम्हारी आत्मिक चाहना से मेरी मुक्ति नहीं।


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