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Manju Saini

Romance

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Manju Saini

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शीर्षक:आ जाते तुम

शीर्षक:आ जाते तुम

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आ जाते तुम यहीं पर जहां मिले थे हम

जीवन भर साथ साथ चलने के वायदे को ले


वही खाली पड़ी बेंच याद दिला रही हैं आज

प्रथम मिलन की उस मधुरिम बेला की

मैं आई थी सजी सँवरी सर्दी की रात की मानिंद

तुम्हारा आना व मिलना मानो शीत में सूर्य दर्शन हो

सूर्य किरणों का पृथ्वी पर आगमन 


आ जाते तुम यहीं पर जहां मिले थे हम

जीवन भर साथ साथ चलने के वायदे को ले


मिलन की वो गर्माहट आज भी बिसरी यादे याद हैं

मानो किरणों की छुवन छुईमुई में नव जीवन संचार

वैसे ही वह प्रथम मिलन की छुवन आज भी याद हैं

वही रुपहली धूप में साथ बैठ बातो का आनंद लेना

जीवन की नई राह की नींव रखने की बाते


आ जाते तुम यहीं पर जहां मिले थे हम

जीवन भर साथ साथ चलने के वायदे को ले


बातो में कब दिन ढलान पर आया आभास नही हुआ

विवश प्रकृति के चक्र को देखती रही रात के रूप में

तपिश दे रहा दिनकर न जाने शांत होकर लौट गया

चाँदनी समेटे चाँद अपनी शीतलता को लेकर आया

और देखते ही देखते हम एकाकार हो गए


आ जाते तुम यहीं पर जहां मिले थे हम

जीवन भर साथ साथ चलने के वायदे को ले.


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