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Devendraa Kumar mishra

Action

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Devendraa Kumar mishra

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हिंद का नाम अमर कर जाओ

हिंद का नाम अमर कर जाओ

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अजीब हिन्द हाल है 

दहशत बेमिसाल है 

बच्चा है, बचपना नहीं 

जवान है, जोश नहीं 

वृद्ध है वृद्धता नहीं 

नारी दुर्गा है, काली है 

चूडियों, चुन्नी वाली है 

चूडियां टूटती हैं, खनकती हैं 

कहर ढाती नहीं 

माँ दर्द से चीखती नहीं 

पैदा होता बालक रोता नहीं 

डर है कहीं आतंकी न आ जाएं 

धिक्कार है तेरे जीने पर 

क्या साँस नहीं है सीने पर 

मिटने के डर से लुटते हो 

माँ, बहिनों की नजरों में पिटते हो 

उठो, जागो एक हो जाओ 

दुष्टों पर कहर सा छाओ 

सत बल, भुज बल से खल को खाक करके 

हिंद का नाम अमर कर जाओ 

ऐ हिंद की लक्ष्मी बाई, दामोदर की प्यारी माई 

क्या सो गई ममता तुम्हारी 

या झूठा है स्नेह तुम्हारा 

चूडी तोड़ने, खनकाने को नहीं 

कहर ढाने को भी होती हैं 

कहर ढाओ ऐसा 

ध्वनि सम्पूर्ण ब्रम्हांड में गूंजे 

गूंगों के भी कान में गूंजे 

छोड़ दो नन्हों तुतलाना

वृद्ध कंपकपाना और जवानों 

भावी जीवन के ख्वाबों को सेहरा नहीं 

कफन बांधो 

समर भूमि जीवन मान 

लगा युद्ध की भयंकर तान 

शत्रु से जूझकर इह लीला संपन्न कर 

जीवन को सद् परिणाम दिला



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