हिम्मत लाएं कहाँ से
हिम्मत लाएं कहाँ से
ये दुख का अंधियारा आज आया कहाँ से,
बादलों में यह घना कोहरा छाया कहाँ से,
हमने तो हमेशा से ही प्रेम के दीप जलाए थे,
आज रिश्तों में आई यह कशमकश कहाँ से,
ये दस्तूर जमाने का हम ना समझ पाए कभी,
मन के अंदर समंदर का तूफ़ान आया कहाँ से,
अपनी बगिया में फूलों को सजाया था हमने,
पर सबको कांटे ही कांटे नजर आए कहाँ से ,
वह भोर का सूरज आज जाने कहाँ छिप गया,
जीवन में फिर से वो उजाला हम लाएं कहाँ से,
बंद हो गए उनके दिल के सभी दरवाजे आज,
अब उनके मन की व्यथा को हम जाने कहाँ से,
संसार भी आज हमको पाखंडी नजर आता है ,
वह पहले वाला विश्वास हम दिलाएँ कहाँ से ,
परेशानियाँ और व्याधियाँ बढ़ती ही जा रही हैं,
परेशानियाँ खत्म करने की हिम्मत लाएं कहाँ से,
मजबूत से विश्वास के वो धागे पल भर में टूट गए ,
उम्मीद जगाने के लिए मोह का धागा बांधे कहाँ से!