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Devendraa Kumar mishra

Comedy Others

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Devendraa Kumar mishra

Comedy Others

हे पश्चिम साष्टांग प्रणाम

हे पश्चिम साष्टांग प्रणाम

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हम पहले पिछड़े थे 

तब तुम्हारे हाथ में कोड़े थे 

अब हम विकास शील हैं 

तुम्हारे हाथ में रिमोट है 

और हम तुम्हारे रोबोट 

तरीका बदला है 

हम पहले भी गुलाम थे, आज भी हैं 

पहले हमारे शरीर पर तुम्हारा अधिकार था 

तुम कैद करो, कोड़े मारो, बेगारी कराओ 

लेकिन मन से हम अपनी मिट्टी को ही नमन करते थे 

अपनी ही संस्कृति को ओढ़ करते थे 

हमारे कुछ नायकों ने तुम्हें खदेड़ दिया 

किन्तु हमे सिवाय गुलामी के कुछ नहीं आता 

हमने हाथ पैर जोड़कर, आपको पुनः आमंत्रित किया 

हमने इस बार न केवल तन से बल्कि मन से आपकी बेड़ियों,

जंजीरों में स्वयं को जकड़कर आपके हवाले कर दिया। 

तुमने भी कोड़े छोड़ डालर से मारना शुरू कर दिया 

हे पश्चिम हम तुम्हारी संस्कृति में अपने आपको ढाल रहे हैं 

नहीं बन रहा तो ढो रहे हैं 

हमें नहीं रहना पिछड़ा देहाती 

अपनी माता को अपनी भाषा को दफन कर 

हम आपकी भेष भूषा, भाषा, कल्चर को अपना रहे हैं 

आपकी शिक्षा, तकनीक, विज्ञान सभी कुछ अपना लिया हमनें 

नहीं, नहीं व्यवसाय नहीं 

हमे तो हुकुम बजाने की आदत है 

कुछ डालर पर स्थायी नौकर रख लीजिए 

हमारे भाग्य खुल जाएंगे 

हे पश्चिम आपको साष्टांग प्रणाम। 



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