"है खूबसूरत गज़ल हमारी"
"है खूबसूरत गज़ल हमारी"


बहार बन करके जिंदगी में करार बनकर चहक रही है।
है खूबसूरत गज़ल हमारी जो महफिलों में चमक रही है।।
कभी जरा सा रोग दिल का बना तमाशा ये जिन्दगी का।
जरा जरा सा खुमार छाया खु़मार बन के बहक रही है।।
बसी है दुनिया इसी के दम पर महक रही है गुलाब बनकर।
बनी मुह़ब्बत करार दिल का जो धड़कनों में धड़क रही है।।
सुरों की सरगम चलो सजा लें आ शायरी करके गुनगुना लें।
लबों से निकली गजल सुहानी हरेक दिल में छलक रही है।।
बने दीवाने अजब गजब से दीवानेपन में है बहके बहके।
गजल हमारी बनी मुह़ब्बत उसी की खुशबू महक रही है।।