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हाँ यही प्यार है

हाँ यही प्यार है

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मेरे अरमानों को आज कल पंख लग गए हैं

ना जाने किस दुनिया के ख्बाब बुनने लगे हैं

एक सूरत रोज आती है मेरे सपनो में आजकल

हम भी उसको दिल ही दिल पसंद करने लगे हैं।


बड़ा मासूम सा चेहरा है वो बस गुलाब के जैसा

देखा नहीं है है हमने जमीं पर कही हुस्न ऐसा

जब भी गुजरता है मेरे पास से आकर कभी

हम उसे देख के ना जाने क्यों मुस्कारने लगे हैं।


दिल किसी महफ़िल में अब मेरा लगता ही नहीं है

हर जगह ऐसा लगता है कोई है जिसकी कमी है

किसी से मिलने की आरजू मेरे दिल में होती ही नहीं

ना जाने क्यों हम अब रोज बनने संवरने लगे हैं।


रोज सोचता हूँ आज करे देंगे हाले ए दिल बयान

क्या करूं अब मेरा साथ देती नहीं है मेरी जुबान

ना जाने कैसा वक्त है यह कैसा मौसम आया है के

हम खुद से सबाल करके खुद ही जवाब देने लगे हैं।


तुमसे तो छुपा रखे हैं हमने सारे राज इस दिल के

ना जाने कैसे ना छुपा पाए हम लोगो की नजर से

मेरे आते ही चुप्पी सी छा जाती है हर महफ़िल में

मेरे पीछे अब सब मुझ पर क्यों मुस्कारने लगे हैं। 


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