.....हां वो एक मजदूर है.....
.....हां वो एक मजदूर है.....
कंकर-पत्थर जोड़ के,
कर दिखलाता है जो कमाल।
ना उसके पास अच्छा वस्त्र है,
ना हीं है एक रुमाल।
पसीना पोछने के लिए भी,
करता है हाथों का इस्तेमाल।
हां! वो एक गरीब है,
पर वो कोई भिखारी नहीं।
खुद की कमाई खाता है,
लेता कोई उधारी नहीं।
गुण तो उसमें बहुत है,
पर करता कोई बराई नहीं।
जो मिट्टी को महल बना दे,
क्षण में बना दे मकान।
वो कोई जादूगर नहीं,
वो भी है एक इंसान।
दुनिया उसको तुच्छ समझे,
पर वो है बहुत महान।
घर परिवार सब छोड़ कर आया,
अपनों से वो दूर है।
अपनी मिट्टी से दूर रहने को,
वो बहुत मजबूर है।
हां! वो एक मजदूर है,
हां! वो एक मजदूर है।
पूरा दिन काम करके,
थककर वो चूर है।
पर उसका हिम्मत और,
हौसला बहुत ही मजबूत है।
हारना उसने सीखा नहीं,
हां ! वो एक मजदूर है।
