. ..यह बाराती अद्भुत थी....
. ..यह बाराती अद्भुत थी....
खुशी में झूमे जग सारा,
आज की बात निराली,
चारों ओर शोर मची,
हो रही जोर-शोर से तैयारी,
ढोल बाजे ,डमरू बाजे,
बजी है देखो शहनाई,
गौरी शंकर की शादी की,
सब को दिल से बहुत बधाई,
राजा हिमाचल के द्वारे,
बारात देखो आई,
वह पल अब दूर नहीं,
जब होगी पार्वती की विदाई,
यह बातें सोचकर ही,
अंखियों में आए पानी,
कैसे सहेंगी रानी मैना,
अपने पुत्री की विदाई ।
बाराती को देखकर,
गौरी बहुत प्रसन्न हुई,
रानी मैना तो बाराती देखकर,
उसी क्षण बेहोश हुई,
देव-दानव-राक्षस-भूत-प्रेत,
सब बारात में आए थे,
दूल्हे राजा तो स्वयं,
भस्मों में नहाए थे,
यह बाराती अद्भुत थी,
सब झूमते आए थे,
शिव की शादी की खुशी में,
ब्रह्मा-विष्णु भी आए थे,
इसी फाल्गुन के त्रयोदशी को,
गौरी-शंकर ने ब्याह रचाई थी,
इसलिए यह पावन दिन,
महाशिवरात्रि कहलाई थी।
