हाँ मैंने...
हाँ मैंने...
हाँ शराबी हूँ मैं
और मैंने शराब पी है
अपने गमों को भुलाने के लिए
मैंने बेहिसाब पी है।
गम भुलाने से पहले
हर घूँट कतरा -कतरा
उन्हें है याद किया
हाँ खुद ही के जख्मों
को कुरेदने में मैंने ये
ज़िन्दगी खराब की है।
हाँ शराबी हूँ मैं
और मैंने शराब पी है।
हाँ मेरी भी ज़िन्दगी के
कुछ पन्ने जलने से बच जाते
जो मेरे दिल के अरमान
किसी के सीने में पल जाते
किसी के पल्लू में अपनी शामें
बांध लेने की ख़्वाहिश में
मैंने हज़ार बार पी है
हाँ शराबी हूँ मैं
और मैंने शराब पी है।
खुद ही जो किसी
अक्स में मैं ढल जाता
इस बोतल में
न मेरा कल जाता
कि काश ऐसा हो पाता
अपने ही बेनकाब
चेहरे को देखने की
गरज़ में हज़ार बार पी है।
हाँ शराबी हूँ मैं और
मैंने शराब पी है।
तेरी निश्छल सी ख्वाहिशों में
जो मैं ज़रा भी पल जाता
तो इक पल ही में
शायद मैं बदल जाता
तेरे न होने से ये ज़िन्दगी
जो नागवार गुज़री है
उसे गंवारा करने के लिए
आज मैंने बेहिसाब पी है।
हाँ शराबी हूँ मैं और
मैंने शराब पी है।
माना कि आज भी दिल में
तेरे अरमान लिए बैठा हूँ
वक़्त ने हैं दिये जो घाव
उन्हें मैं सीए बैठा हूँ
ज़ख्म सीने के लिए
होश की कमी लाज़मी-सी थी
इसीलिए शुरू से आखिरी तक
मैंने बेहिसाब पी है
शराबी बन गया हूँ मैं
और मैंने बेहिसाब पी है।
क्या करता ?
इंसां था तो फ़ितरत भी
मेरी कुछ आदमी-सी थी
सह न पाया मर्ज़ी
वो जो कुदरत की थी।
माफ करना
ऐ दोस्त !
हाँ ! मैंने सचमुच
ये चीज़ ख़राब पी है
शराबी तो नहीं मैं
मगर हाँ मैंने शराब पी है।
