STORYMIRROR

Jyoti Agnihotri

Others

3  

Jyoti Agnihotri

Others

सब फ़ूल हृदय के शूल हुए हैं

सब फ़ूल हृदय के शूल हुए हैं

1 min
297

सब फ़ूल हृदय के शूल हुए हैं,

पलछिन मधुक्षण प्रतिकूल हुए हैं।


तदर्थ जाने बिन क्यूँ भावशून्य हुए हैं,

प्रेमविह्वल हृदय हमारे अब प्रेमशून्य हुए हैं।


हृदयलिंगन में व्यतीत क्षण,

प्रिय! क्यों अब हमें यूँ विस्मृत हुए हैं?


हैं विमुख स्वयं ही से हम

कुछ ऐसे अब चेतनाशून्य हुए हैं।


क्षणिक जीवन के क्षणिक अहम ने,

सब फ़ूल हृदय के शूल किये हैं।



Rate this content
Log in