हाल-ए-दिल
हाल-ए-दिल
बिखर रहा है राहुल अब,
तुम बाँहो में भर समेट लो न मुझे,
मोहब्बत ही तो हूँ तुम्हारी,
चादर समझ खुद से लपेट लो न मुझे,
इश्क में तुम्हारी अब राहुल भी
होश खोता जा रहा है,
नशे की लत नहीं उसे,
पर तेरी आवाज से ही
अब वो मदहोश होता जा रहा है।
चाहत-ए-हुस्न का दीदार करना
इबादत की तरह है,
हर बात मे हँसी घोल देना
उसकी आदत की तरह है,
वफा को हम खुदा से
ऊँचा दर्जा देते हैं,
अगर कोई मेरी खुशी का पता पूछे
तो हम तेरे दिल का पता देते हैं।
मिलने की चाहत रोज होती है उनसे
पर राहों में गैरों का पहरा है,
हम भी छुपछुपा के मिल लेते हैं उनसे,
आखिर मेरे सिर भी तो मोहब्बत का सेहरा है,
और सोचता हूँ डूब जाऊँ
उस मोहब्बत के सागर में,
के हमारा इश्क भी कोई ऐसा-वैसा कहाँ,
सागर सा ही तो गहरा है।
हाल-ए-दिल तुझसे मिल के
कुछ बयां करना चाहता हैं,
हम दोनों एक दूजे की धड़कन
सुन ले भरे सन्नाटे में,
और दिल की गुस्ताखी तो देखो,
ये सब कर के भी ये तुझसे हया करना चाहता है,
हाल-ए-दिल तुझसे मिल के
कुछ बयां करना चाहता है।
वो घड़ी बहुत हसीन रही होगी,
जब तुझे पाने की ख्वाहिश दल में बसी होगी,
तेरी बातों की बूंद से
सपनों का तालाब भर रहा है,
तेरे प्यार का रंग मुझ पे
बहुत गहरा चढ़ रहा है।
तुझे अपने हर नज्म में उतार रहा हूँ,
तेरी तस्वीर को बड़ी नज़ाकत से सँवार रहा हूँ,
तुझे हर महफिल में दिल-ओ-जान से पढ़ जाऊँगा,
तू बस मेरे हिस्से मे रहना हर दौर में,
तुझे पाने के लिए मैं सारी दुनिया से लड़ जाऊँगा।।
