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Devesh Dixit

Crime

4  

Devesh Dixit

Crime

हादसे

हादसे

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दिन ब दिन बढ़ते हादसे

ये पैगाम दे रहे हैं

आ गया है घोर कलियुग

ये बता रहे हैं


थम रही हैं अब तो सांसें

दिल को न सुकून है

आ गया है घोर कलियुग

ये दिखा रहे हैं


जगह जगह पर होते हादसे

दिल को दहला रहे हैं

आ गया है घोर कलियुग

ये समझा रहे हैं


इंसानियत के बढ़ते फासले

भरोसा तोड़ रहे हैं

आ गया है घोर कलियुग

ये जता रहे हैं


दिन ब दिन बढ़ते हादसे

ये पैगाम दे रहे हैं

आ गया है घोर कलियुग

ये बता रहे हैं।



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