Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dipti Agarwal

Abstract

3  

Dipti Agarwal

Abstract

गूंज।।।

गूंज।।।

1 min
359


ख्यालों के शामियाने से कुछ मचलते से

एहसास चीख चीख के, 

अपने होने का इशारा देते से, 

वो चढ़ता सा सूरज आसमानी

कम्बल से बहार मुँह निकाले

बस उबासी ही लेता सा, 


उस अध्खुली कली पे बिखरी ओस की

ठंडी बूँदें हवा के साथ शरारतें करती सी, 

सदियों से अकेला तन्हा खड़ा वो बरगद हर

रोज़ की तरह बाहें पसारे

फ़िज़ा का आलिंगन करता सा, 


दूर एक कोने में नन्हा सा बचपन

नटखट कलाएं दिखाता हँसता,

दौड़ता, उधम मचाता सा, 

और वही दूसरी ओर नाक पे मोठे

शीशे चढ़ाये हाथों से कलम की गर्दन

दबाये वो बुज़ुर्ख उँगलियाँ, 


सफ़ेद कागज़ पे कुछ काली लकीरें फरमाती सी,

दूर एक सुनसान कोने पे कब्ज़ा किये हुए दो

मोहब्बत के मारों की किलकारियां समां में सजने लगी, 

उस बूढ़े बरगद के नीचे बिखरी

सूखी कड़क पत्तियों पे गिरता,


किसी टूटे दिल के आंसुओं के पानी का

मुसलसल टिप टिप सा शोर, 

मुख्तलिफ गूंजों का आबशार तेज़ी सी

बह रहा था उस जॉगर्स पार्क में, 


गूँज !  हाँ, जो हर आहट के पीछे से दबे कदमों से

झांकती उनके तज़ुर्बों को ब्यान कर रही थी, 

गूँज जो उन सैकड़ों खिलते बुझते, 

शरमाते छुपे एहसासों की परछाई थी,


जो दांतो की, दहलीज़ पे आके कब से रु

के पड़े बहार आने को तड़प रहे थे, 

गूँज जो मेरे दिल से तेरी जुबान तक तो आ पहुंची है, 

वो परछाई इठलाती सी वो आवाज़ मेरी रूह की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract