गूँज - है कौन वो ?
गूँज - है कौन वो ?
वो किसकी आहट तलासशता है दिल दीवानों जैसे आजकल,
दबे पाँव से भी कोई घर की देहलीज़ लांघे तो गुमान हो जाता है,
भागते हुए कदम ठीक जा के दरवाज़े के पास रुक जाते हैं,
और एक ओट से झांकती प्यासी बेसबर निगाहें ढूंढ़ती है की,
वो आ गया क्या ?
मुस्कान
उस खुरदरी सी भारी आवाज़ की पहचान दिल से अव्वल लबों ने कर ली,
कितने दिनों से सूखे पपड़ी से बेजान पढ़े अधरों 
;में,
अचानक सुर्ख गुलाब की चमक दौड़ गयी,
उसके एहसास में काफी जोश था सच, फूलों तक से रंग चुरा लाये पल भर में,
बस बावरे कदम न रुके फिर, दौड़ते बलते गिरते किवाड़ तक जा पहुंचे,
सांसें ऐसे उखड़ रही थी जैसे शांत समुन्दर में अचानक हवा के रेलों ने धावा बोल दिया हो अचानक,
वो आ गया क्या ?
क्या दरवाज़े के उस ओर सच में वो खड़ा था?
आखिर है कौन वो ?