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Dipti Agarwal

Romance

3  

Dipti Agarwal

Romance

गूंज- किताब

गूंज- किताब

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काश तुम कोई किताब होती, 

तो तुम्हे पलटने के बहाने, 

रोज़ तुम्हारे जिस्म का थोड़ा सा 

ज़ायका जुबां पे तो आता, 

तुम्हें रोज़ सीने से लगाए 

बिस्तर पे करवटे बदलता, 


तुम्हारी खुशबू का कई 

मर्तबा लुत्फ़ उठाता, 

और रोज़ तुम्हारे जिस्म में गूंधे 

उन अक्षरों पे बड़ी नज़ाकत से 

अपनी उँगलियाँ घुमाता, 


कभी गोद में तुम्हारी सर रख के 

कुछ ख्वाबों के काफ़िले 

पार कर  आता, 

कभी यूँही उमड़ते प्यार को 

बेबाक चुभने से बयान करता, 

काश तुम कोई किताब होती



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