गुस्सा - एक प्रेत की निशानी
गुस्सा - एक प्रेत की निशानी
गुस्सा द्वेष कई नामों से,
जानते हैं हम इस अभिशाप को,
ये तभी अच्छा है जब,
खत्म करना हो किसी पाप को !
ये रिश्ते बिगाड़ देता है,
घर बटवा देता है,
लोगों को मरवा देता है,
ये गुस्सा सब कुछ उजाड़ देता है !
ये तभी अच्छा है जब,
सवारना हो किसी का काम,
और यह उतना ही अच्छा है,
जितना कि सुन सके आपके कान !
इसने कर दी है लोगों में,
फूट की दीवार,
और कर दिए सारे,
रिश्ते नाते बेकार !
गुस्सा बन जाता है,
दूरियां बढ़ाने का आहार,
और हो जाता है,
बातचीत कम कराने में साकार !
ये गुस्सा एकदम से आता है,
जैसे एक सुनामी तूफ़ानी,
और सब बिगाड़ जाता है जिससे कोई,
असर नहीं कर पाते बर्फ और पानी !
ये गुस्सा है अपने अंदर एक,
प्रेत की निशानी,
जिसको खत्म करना जरूरी है,
मेरे जानी,
वरना हो सकती है जीवन में,
बहुत बड़ी हानि !