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संदीप सिंधवाल

Inspirational

4.0  

संदीप सिंधवाल

Inspirational

गुरु शिष्य का भाग्य विधाता

गुरु शिष्य का भाग्य विधाता

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तब कहां समझ आया था कि

गुरू शिष्य का भाग्य विधाता है,

अपने असीम अतुल्य अनुभव से

मरू में ज्ञान वृष्टि बरसाता है।


दुनिया के हर उसूल सिखाता है।

गुरू शिष्य का भाग्य विधाता है।।


भटके और भटकाए हुए को भी

सत्य और सुगम पथ बताता है, 

जाने किन किन वास्तु शैली से 

शरीर में चरित्र को तराशता है। 


हार में आशा किरण दिखाता है।

गुरू शिष्य का भाग्य विधाता है।।


>जिसको दुनिया पहचानती नहीं

गुरु प्रतिभा परिचय कराता है,

एक निस्वार्थ निश्छल भाव से 

जीवन में ज्ञान गंगा बहाता है। 


जीवन का हर अंधेरा मिटाता है।

गुरू शिष्य का भाग्य विधाता है।।


खुद के नाम की परवाह बिना

सदा के लिए मिसाल बनाता है,

गुरु को तब असली खुशी मिलती

शिष्य गुरु से बड़ा नाम कमाता है।


गुरु ज्ञान का सुधा रस पिलाता है।

गुरू शिष्य का भाग्य विधाता है।।



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