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Neeraj pal

Abstract

4.9  

Neeraj pal

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गुरु-प्रार्थना

गुरु-प्रार्थना

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चढा रहा श्रद्धा पुष्प तुमको समर्पित कर श्री गुरु चरणों में 

कितना पावन तुम्हारा जीवन देख रहा अपने हृदय मन में


समदर्शी बन तुमको सबको देते विद्या विनय और ज्ञान 

क्षमाशील बन संताप मिटाते जिनके मन में भरा अज्ञान 

अप्रत्यक्ष रूप में संकट हरते प्रेम भर देते अंतर्मन में

चढ़ा रहा श्रद्धा पुष्प तुम को........... 


प्रकाशित करते रोम- रोम को प्रकाश पुंज बन चहुदिश फैलाते 

विस्तृत विशद ज्ञान तुम देते इस कारण चतुर्भुज कहलाते

तुम्हारी महिमा अजब निराली पहुंच रही संपूर्ण जगत में

चढ़ा रहा श्रद्धा पुष्प तुम को.............. 


शरणागत को तुम अपनाते मोह-माया से दूर भगाते

अज्ञान रूपी बादल छट जाते सुगम सरल साधना बतलाते

प्रेम शक्ति का बाण चलाकर कर लेते सबको बस में

चढ़ा रहा श्रद्धा पुष्प तुमको.............. 


असीम अनुकंपा उन पर होती सेवा भाव को जो अपनाते 

निस्वार्थ भाव से जो इसको करता कृपा उन पर तुम बरसाते 

मोक्ष का भागी वह बन जाता जो तुमको सुमरे जीवन में

चढ़ा रहा श्रद्धा पुष्प तुमको............


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