STORYMIRROR

Jyotshna Rani Sahoo

Fantasy Inspirational

4  

Jyotshna Rani Sahoo

Fantasy Inspirational

गुनहगार

गुनहगार

1 min
272


चारों तरफ़ बिरान है

खाली पन जिंदगी में

दुनियां की भीड़ में

पीछा करता अकेलापन है

वो कमज़ोर तो नहीं 

हौसला भी उछलता है

उमंग भी चीखता चिल्लाता है

पर ज़रूरत हल्ला बोल करता है

अफजाई होता है गरीबी का

दुःख की ताज पहनते गरीब


पेट में क्यूं भुक तमाशा करता है?

कोई बोलता यह एक आदत 

कोई बोला बनावट 

कोई बोला आहा रेे फूटी किस्मत

नियती को मंजूर कुछ और होता है

खुशियां मजबूरी में मजदूर बनते हैं।


हाए रे ये भूक़

हर बनावट को मंजूरी देती

उसके लिए रस्ता कुछ नहीं

बस एक ही

मुंह से लेकर पेट तक

लेश मात्र रह जाता एक राह

मुहाजिर बन जाते गुनाह के

गुनहगार बनते ईमानदार

ईमानदारी से करते गुनाह।


कोई इज्जत ढकने के लिए

दो हात की कपड़ा ढूंढते

कोई बचने के लिए ठंड से

जब पैर फैलाएं कम पड़े चादर

लपेट में लेते गुनाह के कम्बल

दो गज़ की जमीन ना मिले 

सच्चाई के मुहांजिरों को

बाद में गुनाह के सहर मिलते।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy