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Archana Tiwary

Abstract

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Archana Tiwary

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गुनगुनी धूप

गुनगुनी धूप

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गुनगुनी धूप मन भावन लगने लगी 


धूप का टुकड़ा मायके की याद दिलाने लगा.....

सर्द की दुपहरी सुहानी लगने लगी

पंछियों की तान रस घोलने लगी..... 

मौसम का जादू है कुछ ऐसा   

दुल्हन बन आईने में खुद को निहारने लगी...


रुनझुन पायल की धुन छेड़ तराने पिया को बुलाने लगी..... 

बगिया के फूल भी झूम झूम गीत मिलन के गाने लगे....  

लिपट एक दूसरे संग मीठी लोरी सुनाने लगे.....

भौरें भी मदहोश हो हो आगोश में उनके जाने लगे....

गुनगुनी धूप मनभावन लगने लगी 

रह रह कर मायके की याद आने लगी.....


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