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Punit Singh

Romance

4.9  

Punit Singh

Romance

गुनाहगार और प्यार

गुनाहगार और प्यार

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मत देख कोई शख़्स गुनाहगार कितना है,

यह देख वह तुझसे वफ़ादार कितना है।

मत देख उसके दिल में कहीं नफ़रत भी बसती है,

यह देख उसे तुझसे प्यार कितना है।


पूछते हैं लोग मुझसे कि तुम क्यों

अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते?

हमने कहा, जो चंद लफ़्ज़ों बयां हो जाए

हम किसी से सिर्फ़ उतना सा प्यार नहीं करते।


कभी जज़्बात तो कभी हाल-ए-दिल बयां करते,

महफ़िलें कभी, तो कभी तनहाईयां बयां करते।

मोहब्बत कितनी, तुम्हें कितना प्यार करते हैं,

अपनी ही धड़कनों से पूछ लो, जाँ निसार करते हैं हम।


क्या नाम दोगी उस मजबूरी का ऐ सनम,

जिसका दामन थाम तुम बेवफ़ा हो चले।

किस खता पे नज़रें चुराईं हमसे,

न जाने क्यों इतने खफ़ा हो चले।


तुझे भूल कर भी न भुला पायेंगे हम,

बस यही एक वादा है निभा पायेंगे हम।

मिटा देंगे ख़ुद को इस जहाँ से हम,

पर तुझे दिल से ना मिटा पायेंगे हम।


मोहब्बत के दुश्मनों का संसार ना रहे,

काँटों से फूलों का श्रृंगार ना रहे।

करें बदनाम इस क़दर दुनिया वाले,

कि मेरे सिवा तेरा कोई हक़दार ना रहे।


दिल जिसका मोहब्बत में गिरफ़्तार नहीं,

वो शख़्स जीने का हक़दार नहीं।

खाता हूँ कसम मैं, भुला दूँगा तुझे,

सच्ची निगाहों से एक बार कह दो, तुझे मुझसे प्यार नहीं।


काँटों को चुभना सिखाया नहीं जाता,

फूलों को खिलना बतलाया नहीं जाता।

कोई आ जाता है दिल में यूँ ही,

किसी को कह कर अपना बनाया नहीं जाता।


जान कर भी वो मुझे जान ना पाये,

आज तक वो मुझे पहचान ना पाये।

ख़ुद ही कर ली बेवफ़ाई हमने,

ताकी उनपर कोई इल्ज़ाम ना आए।


इस जहाँ में ऐसा ही होता है,

ख़ुशी मिलती है जिसको वही रोता है।

उम्र भर का साथ निभा न सके जो,

न जाने क्यों प्यार उस ही से होता है।


ये दुआ है, आपकी ज़िंदगी सँवर जाये,

हर नज़र में बस प्यार नज़र आए।

ऐ ख़ुदा, उसे प्यार हो जिससे,

वो ख़ुद उसकी तलाश में आए।


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