गुमनाम रहने दो
गुमनाम रहने दो
आवाज़ न दो अब तुम मुझे यूंँ ही गुमनाम रहने दो,
जिस नाम का कोई व़जूद नहीं उसे बेनाम रहने दो,
कदम-कदम पे बस कांँटे ही कांँटे बिछे मेरी राहों मे,
जो मेरे हिस्से में नहीं उन खुशियों का जाम रहने दो,
थक चुका अब अपनी बेगुनाही साबित करते-करते,
ज़माने ने कर ही दिया बदनाम तो बदनाम रहने दो,
समझो बस यही तक साथ सफ़र में हमारा तुम्हारा,
इन कोशिशों का ना निकलेगा कोई अंजाम रहने दो,
नाकाम रहा मेरी किस्मत की लकीरों को बदलने में,
लौटना मुमकिन नहीं न भेजना कोई पैगाम रहने दो,
कट जाएगी ज़िन्दगी किसी तरह यूंँ गुमनाम रहकर,
रोशनी की तलब नहीं ज़िन्दगी ढलती शाम रहने दो,
अपनी बदकिस्मती में शामिल कर सकता नहीं तुम्हें,
तुम बदल लो अपनी राहें, अकेला यह नाम रहने दो।
