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S N Sharma

Romance

4  

S N Sharma

Romance

गज़ल

गज़ल

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रूप के जलवे हसीं मन को मेरे छलते रहे।

चांदनी रातों को तेरा दीदार हम करते रहे।

चांदनी रातों में नदिया के तट पर बैठकर।

तुमको बाहों में लिए इकरार हम करते रहे।

बादलों में छुप के जो चंदा ने मुंह फेर जरा।

फासले पल पल हमारे बीच कम करते रहे।

चांदनी रातों का सुरूर चमेली से पूछ लो।

जिसके मंडवे के तले कैसे सितम होते रहे।

मन भटकता ही रहा बीते हुए उस दौर में।

काफिले यादों के आंखों में यूं ही चलते रहे।

दो जहां छोड़कर तुम चल दिए तो क्या हुआ।

ता उम्र अश्कों में मेरे वे पल सदा पलते रहे।


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