ग़ज़ल
ग़ज़ल
कारवाँ जो चला दूर तक हम चले
साथ हो आप तो चाँद तक हम चले
आप गर संग हो तो शिखर तक चले
हाँथ हो मदद का फलक तक हम चले
चाँदनी की क़सम झील सी नज़र है
इस नजर की क़सम दूर तक हम चले
आरज़ू है अगर जोश दिल में रहे
दीप जलता रहे रात भर हम चले
अब्द अमानत जहाँ हो क़ज़ा ही रहे
सवि जहाँ हो क्षितिज अजल तक हम चले।