गज़ल
गज़ल


यादों की बारिश में भीगने लगे।
अकेले अकेले हम गुनगुनाने लगे।
प्यार के उफनते सागर में
कश्तियां कागज़ की चलाने लगे।
सरसरी नजर से ही देखा था उसने
अर्जियां प्यार की फिर भी लगाने लगे।
कुछ धोखे बहुत हसीन हुआ करते है
ये सोचकर इश्क में हाथ आजमाने लगे।
कह न सके उनसे दिल की बात कभी
तस्वीर से ही हाले दिल बताने लगे।
सिरहाने रखकर ख्वाबों की डोर
रात यूं ही पलकों में काटने लगे ।
बात तो दुनिया की वफ़ादारी की हुई
तुम क्यो चौक कर यूं घबराने लगे ,