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Ravi Jha

Romance Others

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Ravi Jha

Romance Others

गज़ल

गज़ल

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क्या बात है आजकल बातें नहीं होती 

क्या तुम्हारे शहर में रातें नहीं होती?


ये आँखों का किनारा सूखा क्यूँ है 

क्या अब यहाँ बरसातें नहीं होती?


क्या बात है आजकल खुश हो बहुत 

क्या ख्यालों में भी मुलाकातें नहीं होती?


ये जो तेरी मुस्कान है यह भी नहीं होती 

गर तेरी खुशी की मैंने की इबादतें नहीं होती।


नहीं लिखता मैं छंद गीत गज़ल कविता 

गर हर वक्त ये कमबख़्त यादें नहीं होती।

 

खुश रहते है वे ही अब 'रवि' जिन्हें 

कुछ पाने और खोने की हसरतें नहीं होती।



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