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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

गज़ल

गज़ल

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ये कौन आँखों से जाम पिलाती जाती है,

कैसे रोकूँ दिन में सपने दिखाती जाती है।


पास बुलाकर खुद पहलू में बैठकर यूँही, 

ज़िस्त जश्न है ये बातों में बताती जाती है। 


वो जब मिलती है दिल पे शबाब छाता है,

ज़ुल्फ़े मेरे शानों पर बिख़राती जाती है।


उसके दीदार से मचलते है अरमान कई,

क्या अदाओं से नखरे दिखाती जाती है।


सुर्ख़ लब मेरे लब से मिलाकर वो हसीं, 

प्यास जाने वो कौन सी बढ़ाती जाती है।


खिंचकर इश्क के गहरे समुन्दर में मुझे, 

वो अपना हक मुझ पर जताती जाती है।


आज रोको ना मुझे हद से गुज़र जाने दो,

भावना जीने की पल में जगाती जाती है।



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