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Almass Chachuliya

Fantasy

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Almass Chachuliya

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गज़ल

गज़ल

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आज तेरे मैकदे में साकी

सुराही कहीं दिखती नहीं


गूँजी थी इक वक्त पर

आवाज़ ऊँची

आज सन्नाटों के आगोश में

खामोशी कहीं दिखती नहीं


धुँआ - धुँआ सा था चारों

ओर हलचल सी मची थी

ना जाने क्यूँ फिर आग

कहीं दिखती नहीं


गुनहगार तो तू भी था,

गुनहा करता रहा

तेरे चेहरे पर खुदा

परेशानी कहीं दिखती नहीं


अंधेरी रात का साया

घूम रहा है चारों ओर

फिर भी ना जाने क्यूँ

परछाई कहीं दिखती नहीं


कहा था तूने हर सिम्त दिल से

वफ़ा निभाऊँगा

लेकिन तेरे अल्फाजों में

वफ़ा कहीं दिखती नहीं


लफ्ज़ मेरे रहे खामोश लेकिन

अंतर्मन में आवाज़ मेरी

चीखती रही

हो मुलाकात किसी भीड़ में

तुझ से , लेकिन भीड़ भी

कहीं दिखती नहीं


तेरे मेरे दरमियान फ़ासला इस

तरह से हुआ, कि फिर ना कोई

गुफ्तगू अब बाकी रही


बेवफाई का जाम दे गया

तू इस तरह कि, दिल में अब

तस्वीर तेरी कहीं दिखती नहीं

गुज़र रहा है, अब वक्त

सिर्फ यादों के दरमियान के

दिल के दरवाज़े पर फिर

दस्तक कभी किसी की हुई नहीं।


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