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ग़ज़ल: दर्द लिखूँ या नाम तेरा

ग़ज़ल: दर्द लिखूँ या नाम तेरा

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मैं दर्द लिखूँ या लिखूँ नाम तेरा,

इसके सिवा क्या है काम मेरा।


यादों के डिब्बे पे ताला लगा दो,

देखेंगे होना है क्या अंजाम मेरा।


अभी जनाजा निकलना बाक़ी है,

अभी देखेगी हश्र ये आवाम मेरा।


सुला दिया है अभी ख़्वाबों को,

याद ना आ जाये तुझे नाम मेरा।


ख़्वाहिशें जतानी छोड़ दी जाना,

भूला इश्क़-ए-तामझाम मेरा।


उजलत में इश्क़ कर लिया था,

'सफ़र' देख तू भी अंजाम मेरा।


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